Wednesday, January 25, 2012

अजनबी से एक मुलाकात



दूर थे पर उनसे मिलने की  चाहत थी,
साथ नहीं थे पर साथ चलने की खवाइश थी,
वो मिले बन के अजनबी हमें किसी मोड़ पे,
दो कदम न चल सके और सारी जिंदगी की खवाइश थी.

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कल फिर किसी अजनबी से मुलाकात हुई,
उसकी आखो से मेरी भी आँखे चार हुई,
फिर उसकी हँसी से हमारी भी मुलाकात हुई,
न होठो से कोई बात हुई और न इशारों से कोई बात हुई,

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सपनो की दुनिया में हम खोते चले गये,
होश में थे फिर भी मदहोश होते चले गये,
जाने क्या बात थी उस अजनबी चेहरे में,
न चाहते हुए भी हम उसके होते चले गये.

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पता नहीं क्यों लोग अजनबी को बुरा समझते है,
उस पर एतबार नहीं करते है,
जब होता है प्यार किसी अजनबी से,
तब उसको अजनबी नहीं समझते है.

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पता ही नहीं चला कि कब उनसे दिल लगा बैठे,
लेकिन वो तो हमें अजनबी ही समझते रहे,
हमने सोचा कि उनसे अपने दिल की बात कह दे,
लेकिन वो तो बस यू ही मुस्कुराके के चल दिए.

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भगवान आपकी लीला भी अपरम पार है,
अपने दरबार मे बुलाया वो भी उसकी गली से,
जो कल भी मेरे लिए अजनबी थी,
और आज भी मेरे लिए अजनबी है.

4 comments:

Unknown said...

this one is really nice really tru....ue words are really expressing ur feelings..

Unknown said...

gud job bhai... dil pe asar kiya seedhe... i like it... :)))))))

Searchnew said...

Excellent your blog Apurv

Searchnew said...

Hi apurv your blog excellent.