मंजिल से भटकना रास्तो से भटकना नहीं होता,
मंजिल से भटकना ही सही रास्तो को पाना होता है,
जो लोग केवल मंजिलो में ही आपना रास्ता समझते है,
वो कभी मंजिलो तक नहीं पहुच पाते है,
जो लोग मंजिलो से हट कर आपना रास्ता खुद बनाते है,
वो ही अपनी मंजिलो तक पहुच पाते है.
क्योकिं मौसम बदलते हैं ताज़ा रहने के लिए,
रास्ते बदलते हैं फिर से मिलने के लिए,
आइना भी अपनी सूरत बदल लेता हैं,
जाते हुए के अच्छे और ख़ूबसूरत सफ़र के लिए.
मंजिल से भटकना ही सही रास्तो को पाना होता है,
जो लोग केवल मंजिलो में ही आपना रास्ता समझते है,
वो कभी मंजिलो तक नहीं पहुच पाते है,
जो लोग मंजिलो से हट कर आपना रास्ता खुद बनाते है,
वो ही अपनी मंजिलो तक पहुच पाते है.
क्योकिं मौसम बदलते हैं ताज़ा रहने के लिए,
रास्ते बदलते हैं फिर से मिलने के लिए,
आइना भी अपनी सूरत बदल लेता हैं,
जाते हुए के अच्छे और ख़ूबसूरत सफ़र के लिए.
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